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पहल:छात्रों से विशेषज्ञों तक, सभी ने दिखाया सामूहिक समर्पण: डॉल्फिन इंस्टीट्यूट में प्रेरणादायी पहल

  • Writer: Uttarakhandnews Network
    Uttarakhandnews Network
  • Apr 25
  • 2 min read

देहरादून/डॉल्फिन (PG) इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल एंड नेचुरल साइंसेज, देहरादून के मनोविज्ञान विभाग द्वारा अनुसंधान और सलाहकार परिषद के सहयोग से दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का भव्य शुभारंभ हो गया है। कार्यशाला का शीर्षक ‘आईपीआर के माध्यम से व्यवहार और संरक्षण में संज्ञानात्मक, सामाजिक और व्यवहारिक मनोविज्ञान’ है, जो बौद्धिक संपदा अधिकारों के माध्यम से मनोवैज्ञानिक नवाचारों की सुरक्षा और उनके सामाजिक उपयोग को केंद्र में रखता है।

कार्यक्रम का आरंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता एम्स ऋषिकेश के डॉ. मधुर उनियाल ने अपने प्रेरक भाषण में उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर चिकित्सा सेवाओं की क्रांतिकारी भूमिका पर अपना व्यख्यान रखा। उन्होंने पेशेवर जीवन में करुणा, लचीलापन और स्व-देखभाल के संतुलन की आवश्यकता पर बल देते हुए ‘करुणा संतुष्टि बनाम करुणा थकान’ जैसे विचारोत्तेजक मुद्दों को प्रभावशाली तरीके से समझाने का प्रयास किया।

इस अवसर पर संस्थान के निदेशक वी.के. नागपाल ने डॉ. उनियाल को सम्मानित भी किया। कार्यशाला की संयोजक प्रो. वर्षा पार्चा ने स्वागत भाषण दिया, जबकि एनईपी समन्वयक डॉ. आशीष रतूड़ी ने धन्यवाद ज्ञापन में यूसीओएसटी देहरादून के सहयोग और सभी अतिथियों की उपस्थिति की सराहना भी की।

दिनभर चले सत्रों में डॉ. एस. के. ढलवाल और डॉ. राजेश भट्ट ने तकनीकी सत्रों और व्यवहारिक प्रशिक्षण का संचालन किया, जहां प्रतिभागियों ने संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं, सामाजिक प्रभाव और मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन के गहरे पहलुओं को समझा। पोस्टर प्रस्तुतियों ने नवाचार और वैज्ञानिक दृष्टिकोण की गूंज को और भी ऊँचाई दी।

कार्यशाला के आयोजन में डॉ. श्रुति शर्मा, डॉ. अदिति चौहान, डॉ. हिमानी डंगवाल, डॉ. रश्मि नेगी सहित एक समर्पित टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संस्थान के शोधार्थियों, छात्रों और प्रशासनिक सहयोगियों के तालमेल ने उद्घाटन दिवस को अपार सफलता दिलाई।

कार्यक्रम ने न केवल मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने की दिशा में सकारात्मक पहल की, बल्कि शिक्षा जगत में बौद्धिक संपदा की महत्ता को रेखांकित करते हुए मनोविज्ञान के व्यावहारिक पक्ष को भी सशक्त रूप से उजागर किया।

 
 

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