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प्रतीक:हजारों कलाकारों को जोड़ने वाला बस्तर बैंड बना सांस्कृतिक आंदोलन का प्रतीक

  • लेखक की तस्वीर: Uttarakhandnews Network
    Uttarakhandnews Network
  • 1 मई
  • 1 मिनट पठन

देहरादून/स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू), जौलीग्रांट में गुरुवार को भारतीय सांस्कृतिक विरासत को संजोने के उद्देश्य से फेमस बस्तर बैंड की सांस्कृतिक प्रस्तुति आयोजित की गई। यह आयोजन स्पिक मैके और हिमालयन रिक्रिएशन क्लब एंड वेलफेयर ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ।

कार्यक्रम में बस्तर बैंड ने छत्तीसगढ़ की जनजातीय संगीत परंपराओं की समृद्ध झलक प्रस्तुत की, जिससे छात्र-छात्राएं गहरे प्रभावित हुए। बैंड ने 'डोंकी पाटा' जैसे पारंपरिक भक्ति गीतों की प्रस्तुति दी, जो देवी-देवताओं के स्वागत में गाया जाता है।

विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना ने सभी कलाकारों को सम्मानित करते हुए कहा, "इस प्रकार के आयोजन छात्रों को देश की विविध सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ते हैं और जनजातीय जीवन व संगीत को समझने का अनोखा अवसर प्रदान करते हैं।"

पद्मश्री अनूप रंजन पांडे ने बस्तर बैंड की जानकारी साझा करते हुए बताया कि यह बैंड मुरिया, डंडामी मड़िया, धुर्वा, भत्रा, मुंडा और हल्बा जनजातियों के कलाकारों से मिलकर बना है। अब तक यह बैंड 52 ग्राम कला समूहों से 10,000 से अधिक कलाकारों को जोड़ चुका है।

कार्यक्रम में जुगधर कोर्राम, नावेल कोर्राम, पंकू राम सोड़ी, लक्ष्मी सोड़ी, बुधराम सोड़ी, दुलगो सोड़ी, छन्नू ताती, आयता नाग, सुनीता सलाम, संगीता, सुखदेव दुग्गा और धनीराम जैसे कलाकारों ने भाग लिया।

इस मौके पर विश्वविद्यालय के फैकल्टी सदस्य, कर्मचारी व बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। रिक्रिएशन क्लब की ओर से डॉ. हर्ष बहादुर, रुपेश महरोत्रा और अमरेंद्र कुमार ने आयोजन को सफल बनाने में योगदान दिया।

 
 
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