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गणेश चतुर्थी : एक धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव

  • लेखक की तस्वीर: Uttarakhandnews Network
    Uttarakhandnews Network
  • 7 सित॰ 2024
  • 2 मिनट पठन
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गणेश चतुर्थी, भारतीय संस्कृति और धार्मिकता का एक अनमोल हिस्सा है। यह त्योहार हर साल भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है और भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में प्रसिद्ध है। गणेश चतुर्थी की खासियत यह है कि यह एक साथ धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर को संजोए हुए है।


त्योहार की शुरुआत :

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गणेश चतुर्थी का त्यौहार भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है। यह त्योहार विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटका, और गोवा में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन अब इसकी छाप पूरे देश में फैल चुकी है। इस दिन लोग अपने घरों में भगवान गणेश की भव्य मूर्तियों की स्थापना करते हैं और उनकी पूजा अर्चना करते हैं।


पर्व का महत्व :

भगवान गणेश, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि, समृद्धि और भाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है, इस दिन को विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण माना जाता है। उनके आगमन की खुशी में लोग घरों और सार्वजनिक स्थलों पर सुंदर सजावट करते हैं और भव्य पंडाल सजाते हैं। इस दौरान भजन, कीर्तन और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।


सांस्कृतिक गतिविधियाँ :


गणेश चतुर्थी पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी भरपूर झलक देखने को मिलती है। लोग डांस, संगीत, नाटक और अन्य कला रूपों के माध्यम से इस अवसर को मनाते हैं। खासकर, गणेश गाथाएँ और वंदना की जाती हैं, जिनमें गणेश जी की महिमा का बखान होता है।


अन्तिम दिन का महत्व :

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गणेश चतुर्थी की पूजा की समाप्ति पर विसर्जन की परंपरा भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस दिन को गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है, जब गणेश की मूर्तियों को पानी में विसर्जित किया जाता है। यह विसर्जन, न केवल एक धार्मिक क्रिया है बल्कि एक सजीव और रंगीन प्रदर्शनी होती है, जिसमें लोगों का उत्साह और खुशी परिलक्षित होती है।


समाज में भूमिका :


गणेश चतुर्थी का त्योहार न केवल धार्मिक भावनाओं को प्रकट करता है बल्कि यह समाज में भाईचारे और एकता की भावना को भी मजबूत करता है। यह अवसर लोगों को एकत्र होने, मिलजुल कर उत्सव मनाने और सामूहिक रूप से आनंदित होने का अवसर प्रदान करता है।


गणेश चतुर्थी, एक ऐसा त्योहार है जो हमें भगवान गणेश की भक्ति के साथ-साथ सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक समरसता की भावना को भी सिखाता है। इस प्रकार, यह न केवल एक धार्मिक उत्सव है बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर भी है, जो हर साल हमें आनंद और उत्साह का अनुभव कराती है।

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