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इकोटूरिज्म प्रशिक्षण से पर्यावरण संरक्षण व स्थानीय समुदायों के हितों को मिलेगा बल

  • लेखक की तस्वीर: Uttarakhandnews Network
    Uttarakhandnews Network
  • 2 घंटे पहले
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हरिद्वार। राजाजी टाइगर रिजर्व में सफारी जिप्सी चालकों के लिए “Responsible Ecotourism एवं Soft Skills” पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। यह कार्यशाला उन चालकों के लिए थी जिन्होंने इस सत्र में चीला, हरिद्वार, मोतीचूर एवं चिल्लावाली सफारी गेटों पर जिप्सी संचालन के लिए आवेदन किया है।


प्रशिक्षण कार्यशाला का संचालन श्री राजेश भट्ट (Titli Trust) द्वारा किया गया, जिसमें प्रतिभागियों को जिम्मेदार इकोटूरिज्म, प्रकृति के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण, पर्यावरण संरक्षण, तथा पर्यटकों से प्रभावी संवाद के गुर सिखाए गए।


कार्यशाला दो चरणों में आयोजित की गई—


08 नवम्बर 2025 को चीला रेंज परिसर में चीला, हरिद्वार व मोतीचूर रेंज के चालकों हेतु।


09 नवम्बर 2025 को चिल्लावाली रेंज परिसर में चिल्लावाली रेंज के चालकों हेतु।



इस अवसर पर श्री भट्ट ने “एथिकल नेचर वॉचिंग”, “सफारी बियॉन्ड टाइगर्स एंड लेपर्ड्स”, “आर्ट ऑफ स्टोरी टेलिंग इन नेचर” एवं “सफारी के दौरान क्या करें और क्या न करें” जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि जिम्मेदार इकोटूरिज्म केवल वन्यजीव दर्शन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रकृति, स्थानीय समुदायों और पर्यावरण के प्रति सम्मानजनक दृष्टिकोण अपनाने का माध्यम है।


कार्यशाला में चालकों को यह भी समझाया गया कि कहानी कहने की कला के माध्यम से पर्यटकों को एक यादगार और शिक्षाप्रद अनुभव प्रदान किया जा सकता है। उपस्थित जिप्सी चालकों ने प्रशिक्षण सत्र में सक्रिय रूप से भाग लिया और विभिन्न सत्रों में अपनी जिज्ञासाएँ साझा कीं।


कार्यशाला के दौरान राजाजी टाइगर रिजर्व चीला रेंज की वन्यजीव प्रतिपालक सुश्री चित्रांजली नेगी, वन क्षेत्राधिकारी श्री बिजेन्द्र दत्त तिवारी तथा रिजर्व का स्टाफ उपस्थित रहा।


यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल सफारी संचालन की गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा, बल्कि इकोटूरिज्म, वन्यजीव संरक्षण, पर्यावरणीय संतुलन और स्थानीय समुदायों के हितों के प्रति जागरूकता बढ़ाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण पहल है।

 
 
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