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मानवीय संवेदना और चिकित्सा क्षमता का अद्भुत संगम – 26 किलो का ट्यूमर हटाकर बचाई मासूम की जान

  • लेखक की तस्वीर: Uttarakhandnews Network
    Uttarakhandnews Network
  • 25 अग॰
  • 2 मिनट पठन

देहरादून। उत्तराखंड के चिकित्सा इतिहास में अभूतपूर्व उपलब्धि दर्ज करते हुए स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, जौलीग्रांट के चिकित्सकों ने एक असाधारण सर्जरी को अंजाम दिया। 17 वर्षीय युवती के पेट से 26.2 किलोग्राम वजनी अंडाशयी ट्यूमर निकालकर हिमालयन अस्पताल ने नया जीवन प्रदान किया है। यह उत्तराखंड में अब तक का सबसे बड़ा दर्ज ट्यूमर है।


वर्षभर की पीड़ा, जीवन का नया अध्याय


देहरादून के प्रेमनगर क्षेत्र की इस अविवाहित युवती के पेट में पिछले एक वर्ष से असामान्य सूजन थी। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि पिछले चार महीनों से उसे सांस लेने में कठिनाई और आंतों से जुड़ी जटिल समस्याएं सताने लगीं।


अत्याधुनिक तकनीक से ऐतिहासिक सर्जरी


अस्पताल के स्त्री रोग एवं प्रसूति विभाग की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. वंदना राजपूत ने अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य मानकों के अनुरूप अल्ट्रासाउंड और एमआरआई जांच की। इसके बाद अस्पताल की विशेषज्ञ टीम ने सर्जरी की योजना बनाई और कम चीरे वाली आधुनिक तकनीक से मात्र डेढ़ घंटे में यह जोखिम भरी सर्जरी सफलतापूर्वक पूरी कर दी।


टीमवर्क की मिसाल


सर्जरी टीम में डॉ. वंदना राजपूत के साथ डॉ. प्रज्ञा खुगशाल, डॉ. शबाना, डॉ. शिवानी, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. कनिका सचदेवा और नर्सिंग स्टाफ परमिंदर शामिल रहे। इस पूरी टीम ने मिलकर सुनिश्चित किया कि न केवल मरीज के आसपास के अंग सुरक्षित रहें, बल्कि उसका भविष्य भी स्वस्थ और सुरक्षित हो।


उत्तराखंड के लिए ऐतिहासिक क्षण


वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. वंदना राजपूत ने कहा – “26.2 किलो का ट्यूमर सफलतापूर्वक निकालना उत्तराखंड के चिकित्सा इतिहास में पहली बार हुआ है। यह उपलब्धि हिमालयन अस्पताल की उच्चतम गुणवत्ता, मानवीय संवेदना और आधुनिक चिकित्सा क्षमता का प्रतीक है।”


यह असाधारण सफलता न केवल हिमालयन अस्पताल और स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के गौरव को बढ़ाती है, बल्कि पूरे देश में गंभीर स्त्री रोग संबंधी जटिलताओं से जूझ रहे मरीजों के लिए आशा की नई किरण भी है।

 
 
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