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पहाड़ से बाज़ार तक: हाउस ऑफ हिमालयाज ने खोले आत्मनिर्भरता के नए दरवाज़े

  • लेखक की तस्वीर: Uttarakhandnews Network
    Uttarakhandnews Network
  • 21 सित॰
  • 2 मिनट पठन

नई दिल्ली।

उत्तराखण्ड के पर्वतीय अंचल से उठी आत्मनिर्भरता की गूंज अब राष्ट्रीय मंच पर सुनाई दे रही है। ग्राम्य विकास विभाग, उत्तराखण्ड को हाउस ऑफ हिमालयाज और मुख्यमंत्री उद्यमशाला योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए एक नहीं, बल्कि दो-दो प्रतिष्ठित स्कॉच अवार्ड–2025 से नवाज़ा गया है।


यह सम्मान 20 सितम्बर को दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित भव्य समारोह में प्रदान किया गया, जहां देशभर से आए नीति निर्माता, सामाजिक कार्यकर्ता और विकास की राह दिखाने वाले संगठन मौजूद थे।


-- हाउस ऑफ हिमालयाज – पहाड़ की मेहनत को मिली वैश्विक उड़ान


उत्तराखण्ड की पर्वतीय महिलाएं और किसान अपने हाथों की मेहनत से जो उत्पाद तैयार करते हैं, हाउस ऑफ हिमालयाज ने उन्हें नई पहचान दिलाई है।


उत्पादों की पैकेजिंग, ब्रांडिंग और मार्केटिंग ने इन्हें सिर्फ बाजार तक नहीं पहुँचाया, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांग पैदा कर दी।


इस पहल से पहाड़ की महिलाएं सशक्त हुईं और उनकी आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई।



- मुख्यमंत्री उद्यमशाला योजना – युवाओं को दी उड़ान-


ग्रामीण युवाओं को स्वरोज़गार की राह दिखाने वाली यह योजना राज्य के लिए एक मिसाल बन गई है।


आधुनिक तकनीकी, उद्यमशीलता और व्यवसायिक प्रबंधन का प्रशिक्षण देकर युवाओं को अपने पैरों पर खड़ा किया जा रहा है।


प्रशिक्षण उपरांत युवाओं को स्वरोज़गार की दिशा में पूरा सहयोग मिलता है।


यह योजना पलायन रोकने की दिशा में कारगर साबित हो रही है।


--सम्मान ग्रहण--


यह सम्मान ग्राम्य विकास विभाग की अपर सचिव और परियोजना समन्वयक सुश्री झरना कमठान ने ग्रहण किया। उनके साथ डॉ. प्रमोद बेनीवाल (मुख्य विकास अधिकारी), श्री गोविन्द धामी, श्री गुलजारन कुमार और हाउस ऑफ हिमालयाज से प्रेरणा ध्यानी भी मौजूद रहे।


--क्यों अहम है यह अवार्ड--


स्कॉच अवार्ड देश का वह प्रतिष्ठित पुरस्कार है, जो डिजिटल, वित्तीय और सामाजिक समावेशन की दिशा में किए गए अनूठे प्रयासों को सम्मानित करता है। वर्ष 2003 से अब तक यह अवार्ड उन योजनाओं को दिया जाता रहा है, जो समाज और अर्थव्यवस्था में बदलाव की नई इबारत लिखती हैं।

 
 
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