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भारत की आध्यात्मिक धरोहर को मिला अंतरराष्ट्रीय ताज, ऑक्सफोर्ड बुक में अमर हुई गंगा आरती

  • लेखक की तस्वीर: Uttarakhandnews Network
    Uttarakhandnews Network
  • 23 अग॰
  • 1 मिनट पठन

हरिद्वार।

भारत की सांस्कृतिक धरोहर और करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक हरिद्वार की गंगा आरती को अब वैश्विक स्तर पर पहचान मिल गई है। ऑक्सफोर्ड बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने इसे दुनिया की सबसे भव्य और निरंतर आयोजित होने वाली आरतियों में से एक के रूप में आधिकारिक मान्यता प्रदान की है।


यह ऐतिहासिक क्षण न केवल हरिद्वार और उत्तराखंड, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय है।


परंपरा और वैभव


1916 में पंडित मदन मोहन मालवीय के प्रयासों से शुरू हुई गंगा आरती आज भी अपनी दिव्यता और विशालता के लिए जानी जाती है। हर की पैड़ी पर रोज़ाना तीन बार हजारों भक्त दीपदान और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच इसमें सम्मिलित होते हैं। इसका सीधा प्रसारण आज पूरी दुनिया में देखा जाता है।


आध्यात्मिक संदेश


श्री गंगा सभा के अध्यक्ष नितिन गौतम ने कहा—

"गंगा आरती केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की आत्मा है। दीपों की लौ और वेदों की ध्वनि पूरे विश्व को ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का संदेश देती है।"


ऑक्सफोर्ड बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के संर पंडित सुरेश मिश्रा ने इसे भारत की आध्यात्मिक शक्ति और विश्व शांति का प्रतीक बताया।


महत्व और प्रभाव


गंगा आरती सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह आयोजन विश्व शांति, मानव कल्याण और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देता है। श्रद्धालु मानते हैं कि इसमें शामिल होकर उन्हें आत्मिक शांति और दिव्यता की अनुभूति होती है।


अगला पड़ाव


आज श्री गंगा सभा में ऑक्सफोर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड्स का प्रमाणपत्र सौंपा गया। इसके बाद अगले वर्ष गंगा सभा का प्रतिनिधिमंडल ऑक्सफोर्ड यूनियन (यूके) में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय समारोह में भाग लेगा।

 
 
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