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रेशम उद्योग को नई ऊँचाई देने के लिए जोशी ने किया कर्मचारियों का सम्मान

  • लेखक की तस्वीर: Uttarakhandnews Network
    Uttarakhandnews Network
  • 24 सित॰
  • 2 मिनट पठन

देहरादून। राजधानी देहरादून में मंगलवार को कृषि एवं ग्राम्य विकास मंत्री गणेश जोशी ने सिल्क एक्स्पो-2025 का शुभारंभ किया। यह आयोजन सिल्क मार्क ऑर्गेनाइजेशन, केन्द्रीय रेशम बोर्ड, वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार, रेशम निदेशालय उत्तराखण्ड और उत्तराखण्ड को-ऑपरेटिव रेशम फेडरेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया।

उद्घाटन के बाद मंत्री जोशी ने एक्स्पो में लगे विभिन्न स्टॉलों का अवलोकन किया और सेलाकुई में स्थापित पावरलूम से तैयार की गई साड़ियों की सराहना की। इस मौके पर उन्होंने देशभर से आए उद्यमियों, रेशम कास्तकारों और प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दीं।

इस प्रदर्शनी में देश के 12 राज्यों से आए 26 से अधिक प्रतिभागियों ने अपने रेशमी उत्पादों की झलक पेश की। यहां ग्राहकों को उच्च गुणवत्ता वाले रेशमी वस्त्र, बुनाई की विविध विधाएं और डिज़ाइन एक ही छत के नीचे उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

अपने संबोधन में मंत्री जोशी ने कहा कि उत्तराखण्ड का शहतूती रेशम देशभर में सर्वोत्तम माना जाता है और इसी कारण राज्य को “Bowl of Bivoltine Silk” की पहचान मिली है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के करीब 7,500 कीटपालक परिवार प्रतिवर्ष 312 मी.टन से अधिक शहतूती रेशम कोया का उत्पादन कर रहे हैं।

मंत्री ने कहा कि पूर्व में प्रदेश में रेशमी वस्त्र बुनाई न्यून स्तर पर थी, लेकिन सरकार बनने के बाद रेशम फेडरेशन ने परम्परागत बुनकरों को प्रशिक्षण देकर और सेलाकुई के ग्रोथ सेंटर में पावरलूम स्थापित कर गुणवत्तायुक्त वस्त्र उत्पादन शुरू किया। आज “दून सिल्क ब्रांड” राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है। विगत वर्ष फेडरेशन ने 5 करोड़ रुपये मूल्य के रेशमी वस्त्रों का उत्पादन कर 1 करोड़ रुपये का लाभ अर्जित किया।

कार्यक्रम में रेशम निदेशालय और बी.एस. नेगी महिला प्राविधिक प्रशिक्षण संस्थान, ओएनजीसी की छात्राओं ने भव्य फैशन शो “रिवायत-ए-रेशम-2” प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। मंत्री ने इसे छात्राओं की प्रतिभा और संस्थानों की सहभागिता का उत्कृष्ट उदाहरण बताया।

 
 
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