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बसंतोत्सव कवि सम्मेलन में कवियों की ओजस्वी व हास्य रचनाओं ने समां बांधा

  • लेखक की तस्वीर: Uttarakhandnews Network
    Uttarakhandnews Network
  • 8 फ़र॰
  • 2 मिनट पठन

ऋषिकेश – बसंतोत्सव के अवसर पर आयोजित भव्य कवि सम्मेलन में देशभर से आए प्रतिष्ठित कवियों ने अपनी ओजस्वी, हास्य और प्रेम रस से सराबोर रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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कवि डॉ. राजीव राज ने अपनी प्रेरणादायक पंक्तियों –

"कारवां रुका कब जग का, ये प्रतीक्षा भ्रम है,

टूटना भी क्रम है, जिंदगी की शर्त है बहते रहो"

से जीवन के सतत प्रवाह का संदेश दिया।


हास्य कवि शंभू शिखर और विनोद पाल ने अपनी चुटीली कविताओं से दर्शकों को ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया। पूरा पंडाल हास्य की गूंज से भर गया और उनकी प्रस्तुति को खूब सराहा गया।


कवि जॉनी वैरागी ने गीतों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा –

"जिस दिन गीत मंच से मर जाएंगे, उस दिन कवि सम्मेलन मर जाएंगे।"

उन्होंने पक्षियों के प्रति मानवीय संवेदना जगाने वाली कविता सुनाई –

"ये सारी दुनिया, सारी इमारतें आपकी हैं, लेकिन इन पक्षियों के घोंसले आपके बाप के हैं, जो इन्हें उजाड़ रहे हो।"

इस कविता के माध्यम से उन्होंने अंधाधुंध विकास के कारण विलुप्त होते पक्षियों के मुद्दे पर प्रहार किया।


कवयित्री सपना सोनी ने अपने गीतों से समां बांध दिया –

"तुम्हारे शहर में अपने महकते गीत लाई हूं,

मैं दौसा की धरा से प्यार का संगीत लाई हूं,

ऋषिकेश आकर लगा कि अपने घर आई हूं।"


कवि संपत सरल ने अपनी हास्य-व्यंग्य रचना में सामाजिक मुद्दों को उठाते हुए कहा –

"हलाल और झटके पर बहस चल रही है, और बकरे की किसी ने मर्जी ही नहीं पूछी।"

उन्होंने आयकर विभाग पर कटाक्ष करते हुए सुनाया –

"आयकर वालों ने कहा सरकार के खिलाफ ज्यादा न बोला करो, छापा पड़ जाएगा।

कवि बोला – गबन के नाम पर एक कवि के घर में मुंशी प्रेमचंद की रचना 'गबन' मिलेगी,

और ज्यादा परेशान किया तो हम भी बीजेपी ज्वाइन कर लेंगे।"


महान राष्ट्रवादी कवि हरिओम पंवार ने अपने ओजस्वी स्वर में वीर रस से ओत-प्रोत रचना प्रस्तुत की –

"पैरों में अंगारे बांधे, सीने में तूफान भरे,

नई धरती परमाणु हथियारों से सजी है।"

उन्होंने आतंकवाद पर प्रहार करते हुए कहा –

"मैं मेंहदी, पायल, कंगन के गीत भी गाता हूं,

मैं धरती से आतंकवाद का निपटारा गाता हूं।"

उन्होंने सैनिकों की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा –

"मैंने कभी भगवान तो नहीं देखे, लेकिन सीमा पर हमारी रक्षा करने वाले हर फौजी हमारे भगवान हैं।"


सम्मान एवं उपस्थिति


बसंतोत्सव समिति ने डॉ. हरिओम पंवार, संपत सरल, शंभू शिखर, जॉनी बैरागी, डॉ. राजीव राज, सपना सोनी और विनोद पाल का आभार व्यक्त किया और उन्हें सम्मानित किया।


इस अवसर पर प्रमुख रूप से महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य जी महाराज, हर्षवर्धन शर्मा, संयोजक दीप शर्मा, सहसंयोजक वरुण शर्मा, सचिव विनय उनियाल, जयेंद्र रमोला, प्रधानाचार्य यमुना प्रसाद त्रिपाठी, प्रधानाचार्य के. एल. दीक्षित, राकेश सिंह, महंत रवि शास्त्री, रामकृपाल गौतम, अशोक अग्रवाल, चंद्रशेखर शर्मा, सुरेंद्र दत्त भट्ट, लेफ्टिनेंट लखविंदर सिंह, सुनील दत्त थपलियाल, आशु रंग देव, दीपक रयाल, ध्रुव नागपाल, रंजन अंथवाल, संजीव कुमार, दीपक भारद्वाज, गीता कुकरेती, अंजू रस्तोगी, कविता शाह, अंबिका धस्माना, विवेक शर्मा, प्रवीण रावत, रचित अग्रवाल, अमित चटर्जी सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।


कवि सम्मेलन की सफलता पर आयोजन समिति ने सभी अतिथियों व श्रोताओं का धन्यवाद किया।

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