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SGRRU कार्यक्रम में विशेषज्ञों का आह्वान – युवाओं को जोड़ें औषधीय खेती और जैविक उत्पादों से

  • लेखक की तस्वीर: Uttarakhandnews Network
    Uttarakhandnews Network
  • 16 सित॰
  • 2 मिनट पठन

देहरादून। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज की ओर से एक दिवसीय संवाद कार्यक्रम “यूथ डायलॉग ऑन ट्रांसफॉर्मिंग हिल एग्रीकल्चर इन उत्तराखण्डः प्रॉस्पेक्ट्स एंड पोटेंशियल ऑफ एरोमैटिक प्लांट्स” का आयोजन किया गया। इसमें विशेषज्ञों ने कहा कि उत्तराखण्ड में औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती रोजगार और आत्मनिर्भरता का नया मार्ग खोल सकती है।

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डाॅ. प्रताप सिंह पंवार (वाइस प्रेसीडेंट, स्टेट मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड उत्तराखण्ड), विशिष्ट अतिथि डाॅ. नृपेन्द्र चैहान (निदेशक सेंटर फॉर एरोमैटिक प्लांट्स व सीईओ स्टेट मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड) एवं प्रो. (डाॅ.) कुमुद सकलानी (कुलपति, श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय) ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर 300 से अधिक छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की।

डाॅ. प्रताप सिंह पंवार ने कहा कि उत्तराखण्ड में अश्वगंधा, तुलसी, सर्पगंधा और शतावरी जैसे औषधीय पौधों की पैदावार को बढ़ावा देकर किसानों की आय दोगुनी की जा सकती है। उन्होंने सुझाव दिया कि महिला स्वयं सहायता समूह हर्बल चाय, तेल और स्किन-केयर उत्पाद तैयार कर बाजार में ब्रांड बनाकर बेच सकते हैं। इससे ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को आकर्षक स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे।

डाॅ. नृपेन्द्र चैहान ने युवाओं से आह्वान किया कि वे पारंपरिक खेती के साथ-साथ जैविक और औषधीय खेती से जुड़ें। उन्होंने कहा कि एलोवेरा, स्टीविया और लेमनग्रास जैसे पौधों से जूस, हर्बल पाउडर, हर्बल टी और कॉस्मेटिक उत्पाद बनाकर स्थानीय स्तर पर ब्रांडिंग कर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाया जा सकता है। इससे उत्तराखण्ड को हर्बल और ऑर्गेनिक हब बनाने का सपना साकार होगा।

कुलपति प्रो. (डाॅ.) कुमुद सकलानी ने कहा कि विश्वविद्यालय, श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज के मार्गदर्शन में जैविक खेती पर कई प्रोजेक्ट चला रहा है। श्री दरबार साहिब की भूमि पर सफल ऑर्गेनिक फार्मिंग इसका जीवंत उदाहरण है।

कार्यक्रम का संचालन डाॅ. प्रियंका बनकोटी (डीन, स्कूल ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज) ने किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन छात्रों को बाजार की मांग से जोड़ते हैं और उन्हें आधुनिक कृषि परिदृश्य में तैयार करते हैं। अंत में उन्होंने सभी का आभार व्यक्त किया।

 
 
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