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72 बीघा ध्वस्त कर दिया यह संदेश—एमडीडीए और बी.डी. तिवारी शहर को दे रहे पारदर्शी विकास की नई दिशा

  • लेखक की तस्वीर: Uttarakhandnews Network
    Uttarakhandnews Network
  • 8 दिस॰
  • 2 मिनट पठन

मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने अवैध प्लॉटिंग व अवैध निर्माण के खिलाफ अपने अभियान को और तेज करते हुए सोमवार को विकासनगर, सहसपुर, सेलाकुई और होरोवाला रोड क्षेत्रों में व्यापक कार्रवाई की। प्राधिकरण की टीम ने विभिन्न स्थानों पर अवैध कालोनाइज़रों द्वारा विकसित की जा रही करीब 72 बीघा भूमि पर चल रही प्लॉटिंग को सील और ध्वस्त किया।


एमडीडीए ने स्पष्ट कर दिया है कि शहरी विकास नियमों से खिलवाड़ करने वालों को किसी भी स्तर पर बख्शा नहीं जाएगा। नियोजित, सुरक्षित और पारदर्शी शहरी विकास मॉडल को लागू करने के लिए यह कार्रवाई बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।


कहाँ-कहाँ हुई कार्रवाई


होरोवाला रोड, देहरादून—जिशान खान द्वारा की जा रही 40–45 बीघा की अवैध प्लॉटिंग ध्वस्त


खैरी गांव, मुर्गी निगम रोड, सेलाकुई—परमजीत रिखोल द्वारा की गई 5 बीघा प्लॉटिंग पर कार्रवाई


ग्राम शंकरपुर, नवोदय विद्यालय निकट, कैचीवाला रोड, सहसपुर—राहुल धनोला एवं अन्य द्वारा की जा रही 22 बीघा अवैध प्लॉटिंग ध्वस्त



कार्रवाई के दौरान अवर अभियंता सिद्धार्थ सेमवाल, अमन पाल, सुपरवाइज़र और पुलिस बल मौजूद रहे।



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उपाध्यक्ष एमडीडीए बंशीधर तिवारी का बयान


“एमडीडीए का उद्देश्य नियोजित, सुरक्षित और सुव्यवस्थित शहरी विकास को सुनिश्चित करना है। इसीलिए अवैध निर्माण और बिना मानचित्र स्वीकृति के की जा रही प्लॉटिंग के विरुद्ध सख्त ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अपनाई गई है। अवैध कॉलोनाइज़ेशन न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि भविष्य में नागरिक सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा है। जो भी संस्था या व्यक्ति नियमों से खिलवाड़ करेगा, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

हम जनता से अपील करते हैं कि प्लॉट खरीदने से पहले उसकी विधिक स्थिति अवश्य जांचें और केवल एमडीडीए-स्वीकृत कॉलोनियों में ही निवेश करें।”



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सचिव एमडीडीए मोहन सिंह बर्निया का बयान


“प्राधिकरण लगातार क्षेत्रीय निरीक्षण कर रहा है और जहां भी अवैध गतिविधियों की जानकारी मिलती है, तत्काल कार्रवाई की जाती है। विकास क्षेत्रों में भौतिक जांच को और सख्त किया गया है ताकि अवैध प्लॉटिंग पनपने न पाए। नागरिकों से अनुरोध है कि भूमि खरीदते समय मानचित्र स्वीकृति और सभी विधिक प्रक्रियाओं की पुष्टि अनिवार्य रूप से करें।”

 
 
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